हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की डेड बॉडी बरामद, मौत की वजह पर सस्पेंस, नहीं मिले शरीर पर चोट के निशान

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इजरायली सेना के हवाई हमले में मारे गए हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की डेड बॉडी बरामद कर ली गई है. उसके शव कोलेबनान के बेरूत में उसी जगह से बरामद किया गया, जहां आईडीएफ ने एयरस्ट्राइक की थी. लेकिन उसकी मौत की वजह पर सस्पेंस है. क्योंकि उसके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं. हालांकि, संभावना जताई जा रही है कि भीषण बम धमाकों के झटकों की वजह से उसकी मौत हुई है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को लेबनान के सिक्योरिटी और मेडिकल सोर्सेस ने बताया है कि हसन नसरल्लाह के शरीर पर चोट के निशान दिखाई नहीं दिए हैं. ऐसे प्रतीत होता है कि मौत का कारण तेज बम धमाकों की वजह से पैदा हुआ ट्रामा है. शनिवार को हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि किए जाने के दौरान हिज्बुल्लाह ने यह नहीं बताया कि उसकी मौत कैसे हुई है और अंतिम संस्कार कब किया जाएगा.

हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान की तरफ से बयानबाजी जारी है. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की तरफ कहा गया कि लेबनान के लोग यह नहीं भूले हैं कि एक समय था जब कब्जे वाले शासन के सैनिक बेरूत की ओर बढ़ रहे थे. हिज्बुल्लाह ने ही उन्हें रोका था और लेबनान गौरवान्वित हुआ था. इजरायल हिज्बुल्लाह को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत छोटा है.

हिज्बुल्लाह चीफ की मौत के बाद इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने देश में 3 दिन के शोक की घोषणा की है. उसके मारे जाने के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है. इस बीच ईरान में सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, खामेनेई को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है.

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लेबनान में भी 5 दिन के शो का ऐलान किया गया है. घर, दफ्तर और बाजार सब बंद है. लेबनान-इजरायल जंग को लेकर दुनिया भर में प्रतिक्रिया आ रही है. इजरायल की तरफ से बंधकों की रिहाई तक युद्ध जारी रखने का ऐलान किया गया है. लेबनान ने कहा है कि शनिवार को इजरायल की तरफ से हुए हमले में 33 लोगों की मौत हुई है, जबकि 195 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

IDF

संयुक्त राष्ट्र संघ के स्कूल से 53 मीटर दूर छिपा था नसरल्लाह

इजरायल डिफेंस फोर्सेस ने एक बड़ा खुलासा किया है. आईडीएफ का दावा है कि हसन नसरल्लाह जिस अंडरग्राउंड हेडक्वार्टर में छिपा था, वो संयुक्त राष्ट्र संघ के स्कूल से महज 53 मीटर दूर है. लेबनान के बेरूत में स्थित ये जगह रिहाइशी इलाके में है. यहां आम लोग रहते हैं. इनके बीच नागरिक इमारतों के नीचे नसरल्लाह कई कमांडरों और लड़ाकों के साथ मौजूद था.

आईडीएफ ने उसके साथ 20 आतंकियों को भी मार गिराया गया. आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा कि नसरल्लाह के साथ मारे गए आतंकियों में अहम नाम इब्राहिम हुसैन जाजिनी (सिक्योरिटी चीफ), समीर तौफिक दिव (एडवाइजर), अब्देल अमीर मुहम्मद सब्लिनी (प्रमुख कमांडर) और अली नाफ अयूब का है. इजरायल दूसरे देश में घुसकर अपने दुश्मनों को मारने में माहिर माना जाता है.

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वैसे हिज्बुल्लाह के ठिकानों और हौसलों को पस्त करना इतना आसान नहीं है. इसकी कहानी 1980 के ही दशक में शुरू होती है, जब लेबनान में इजराइल के विरोध का माहौल तैयार हुआ. तब हिज्बुल्लाह सुरंगों का उपयोग करता था. लेकिन बड़ा मोड़ तब आया जब ईरान और उत्तर कोरिया ने मिसाइलों के भंडारण के लिए सुरंग बनाने में उसकी मदद की थी. हिज्बुल्लाह का नेटवर्क बढ़ता गया.

साल 1990 तक उसने दक्षिणी लेबनान पर कब्जा कर लिया था. साल 2000 में जब लेबनान से इजराइली सेना हटी तो हिज्बुल्लाह ने दावा किया कि उसके डर से सेना भागी है. ये पहला अवसर था जब इसराइल ने शांति समझौते के बिना किसी अरब देश की धरती को इकतरफा तौर पर छोड़ा और क्षेत्र के बहुत से अरब नागरिकों की नज़र में इसे एक महत्वपूर्ण सफलता घोषित किया गया.

इसके बाद नसरल्लाह मजबूत होता चला गया. लेबनान में बड़ी ताकत बन गया. लेकिन उसकी मौत के बाद अब इजरायल पर बड़े पलटवार का खतरा बढ़ गया है. क्योंकि हिज्बुल्लाह पर लगातार हमलों के बावजूद अभी तक उसे हरा नहीं पाया है. एक अमेरिकी रिपोर्ट में बताया गया है कि 40 से 50 हजारों लड़ाकों का उसका समूह है. जबकि नसरल्लाह ने एक लाख लड़ाकों का दावा किया था.

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यह भी पढ़ें: हिज्बुल्लाह की सिक्योरिटी यूनिट का कमांडर ढेर, अब अबू अली रिदा की तलाश में इजरायल

IDF

जानिए हसन नसरल्लाह के खात्मे की इनसाइड स्टोरी

इजरायल का मोस्ट वांटेंड हसन नसरल्लाह मारा जा चुका है. ये तो सबको पता है, लेकिन आखिर कैसे इस सटीक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, इसकी पूरी अंदरूनी कहानी कुछ ऐसी है. हमलों का सिलसिला शुक्रवार से दस दिन पहले शुरु हो चुका था. लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के हाथों के मोबाइल और पेजर अचानक फटने लगे. ये शुरूआत थी, जिसके बाद तो दस दिन के भीतर इजरायल ने लेबनान पर हमलों की झड़ी लगा दी. लगातार हमले किए जाते रहे. रोज मौते होती रहीं.

इन सबके बीच इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को खबर मिली कि बेरूत के एक उपनगर दहियाह में रिहायशी इलाके के नीचे अंडरग्राउंड हिज्बुल्लाह के साउथ हेडक्वर्टर के भीतर टॉप कमांडरों के साथ सैयद हसन नसरल्लाह भी मौजूद है. तब उसके साथ उसकी बेटी जैनब और साउथ रेंज का कमांडर अली काराकी भी मौजूद था. उस वक्त इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू यूनाइटेड नेशंस के हेडक्वार्टर में भाषण दे रहे थे. उससे पहले वो इस ऑपरेशन को हरी झंडी दिखा चुके थे.

तेल अवीव के सैन्य हवाई अड्डे से इजरायल के लडाकू विमानों ने उड़ाने भरी. उनका टारगेट था बेरूत के दहियाह में हिज्बुल्लाह का हेडक्वार्टर. इसके बाद ऐसा हमला हुआ कि पूरा बेरूत दहल उठा. हिज्बुल्लाह पर ये सबसे बड़ा हमला था. कुल आधे घंटे तक बेरूत में हिज्बुल्लाह के हेडक्वार्ज्ञटर पर बम बरसाए जाते रहे. आसपास की छह इमारतें जमींदोज हो गईं. 20 मीटर यानी 65 फुट का एक बडा विशाल गड्ढा बना गया. इन इमारतों में कुछ नहीं बचा. मलबे का ढेर जमा हो गया.

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नसरल्लाह के बचने की कोई गुंजाशन नहीं छोड़ी गई. कुछ घंटों के बाद आखिर ऐलान हो गया कि नसरल्लाह मारा जा चुका है. इजरायली सेना ने एक ट्वीट के जरिए बताया कि नसरल्लाह से डरने की अब जरूरत नहीं है. वो अब आतंक नहीं फैला पाएगा. हालांकि हिज्बुल्लाह ने पूरे 20 घंटे के बाद ये माना की उसका मुखिया हसन नसरल्लाह मारा जा चुका है. पूरे बेरूत के 40 फीसदी इलाके को इजरायल ने उजाड़ दिया. हर तरफ से धूआं उठता दिखा. लोगों में अफरा-तफरी देखी गई.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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